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जगन्नाथ पुरी: भक्ति, ऐतिहासिकता, सांस्कृतिक विरासत, और अधिक (Jagannath Puri: Devotion, History, Cultural Heritage, and More)

जगन्नाथ पुरी का इतिहास हज़ारों वर्ष पुराना है। यह माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोदगंगा द्वारा की गई थी। हालांकि, पुराणों और स्थानीय कथाओं के अनुसार, यह स्थल बहुत पहले से ही एक पवित्र स्थान था। एक स्थानीय कथा के अनुसार, जगन्नाठ की मूर्ति […]

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जगन्नाथ पुरी: भक्ति, ऐतिहासिकता, सांस्कृतिक विरासत, और अधिक (Jagannath Puri: Devotion, History, Cultural Heritage, and More)

जगन्नाथ पुरी का इतिहास हज़ारों वर्ष पुराना है। यह माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोदगंगा द्वारा की गई थी। हालांकि, पुराणों और स्थानीय कथाओं के अनुसार, यह स्थल बहुत पहले से ही एक पवित्र स्थान था।

एक स्थानीय कथा के अनुसार, जगन्नाठ की मूर्ति विष्णु के अवतार कृष्ण के अंतिम शरीर के टुकड़ों से बनाई गई थी। यह कहानी उनकी मूर्ति के अपूर्ण और अमूर्त रूप को समझाती है, जो आज भी भक्तों को आकर्षित करती है।


स्थानीय कहानियाँ और लोकप्रिय जनश्रुतियाँ

  1. विष्णु का अवतार: एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा कृष्ण, बलराम और उनकी बहन सुभद्रा के अवतार हैं। यह माना जाता है कि कृष्ण के अंतिम समय में उनका शरीर समुद्र में विलीन हो गया था, और बाद में एक दिव्य कार्यक्रम के तहत उनकी मूर्तियाँ बनाई गईं।
  2. ब्रह्म तल: जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियों के अंदर "ब्रह्म तल" के रूप में जाना जाता है, जो भगवान जगन्नाथ के आत्मा का प्रतीक है। इसे केवल चुनिंदा पुजारी ही देख सकते हैं।
  3. रथयात्रा का जन्म: एक स्थानीय कहानी के अनुसार, जब भगवान जगन्नाथ ने अपने भक्तों को अपने मंदिर के बाहर ले जाने का फैसला किया, तो उन्होंने अपनी मूर्तियों को रथ पर स्थापित करने का तरीका अपनाया। इसी से रथयात्रा की परंपरा शुरू हुई।

जगन्नाथ पुरी कैसे पहुँचें?

जगन्नाथ पुरी तीर्थयात्रियों के लिए सुलभ है और इसे विभिन्न तरीकों से पहुँचा जा सकता है:

  1. हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर (Bhubaneswar) है, जो जगन्नाथ पुरी से लगभग 60 किलोमीटर दूर है। भुवनेश्वर से टैक्सी, बस या ट्रेन से पुरी पहुँचा जा सकता है।
  2. रेल मार्ग: पुरी रेलवे स्टेशन एक प्रमुख स्टेशन है जो भारत के विभिन्न हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यहाँ तक पहुँचने के लिए रेलगाड़ियों का विकल्प बेहद सुविधाजनक है।
  3. सड़क मार्ग: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से पुरी तक बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती है। सड़क मार्ग बहुत ही अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

सबसे अच्छा समय जाने के लिए

जगन्नाथ पुरी का दौरा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस समय मौसम ठंडा और सुखद होता है, जो यात्रा के लिए अनुकूल है। यदि आप रथयात्रा का आनंद लेना चाहते हैं, तो जून-जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त है।


प्रमुख त्योहार

जगन्नाथ पुरी में वर्षभर त्योहार मनाए जाते हैं, जो इसे एक जीवंत तीर्थस्थल बनाते हैं। कुछ प्रमुख त्योहार इस प्रकार हैं:

  1. रथयात्रा (जून-जुलाई): यह सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। इस दौरान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को विशाल रथों पर स्थापित करके शहर के चारों ओर घुमाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
  2. चंदन यात्रा (अप्रैल-मई): इस त्योहार के दौरान मूर्तियों को चंदन की पेस्ट से सजाया जाता है और उन्हें मंदिर के बाहर एक विशेष स्थान पर ले जाया जाता है।
  3. स्नान यात्रा (मई-जून): इस त्योहार में मूर्तियों को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। इसके बाद मूर्तियों को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है, जहाँ वे "अनावरण" के लिए तैयार होते हैं।
  4. नवकलेबर (नवीनीकरण): इस त्योहार के दौरान मूर्तियों को नए वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है।

जगन्नाथ पुरी एक ऐसा स्थान है जो आपको धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से समृद्ध अनुभव प्रदान करता है। चाहे आप भक्ति की खोज में हों, ऐतिहासिक कहानियों को सुनना चाहें, या फिर समुद्र तट का आनंद लेना चाहें—जगन्नाथ पुरी सभी के लिए कुछ न कुछ खास है।

इसलिए, अगली बार जब आप एक ऐसी यात्रा की योजना बनाएं, जो आपको शांति, संस्कृति और आध्यात्म की दुनिया में ले जाए, तो जगन्नाथ पुरी का चयन करें। आपको यहाँ का हर पल याद रहेगा!

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WRITTEN BY

Madhav

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